मंगलवार, 4 नवंबर 2014

अपराधी जन्मजात नहीं होता

अपराधी जन्मजात नहीं होता। परिस्थिति उसे गलत रास्ते पर धकेल देती है।अपराधी जन्मजात नहीं होता। परिस्थिति उसे गलत रास्ते पर धकेल देती है। एक बार रास्ता भटकने के बाद वापस लौटना मुश्किल होता है। सही दिशा मिल जाए तो वापस लौटना संभव भी है। अपराधी भी अपराध की दुनिया को छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकते हैं। बैरकों में बंद कैदी और बंदियों को जेल प्रशासन नैतिकता का पाठ पढ़ाएग उन्हें अच्छे-बुरे का ज्ञान देकर अपराध की दुनिया छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा। घटना के बाद परिजन पर किस तरह मुसीबतों का पहाड़ टूटता है, इसके बारे में विस्तार से बताया जाएगा। नैतिकता का पाठ पढ़ाने के लिए

आगरा जेल में कैदी बंधुओ को पढ़ाया नैतिकता का पाठ

आगरा जेल में कैदी बंधुओ को पढ़ाया नैतिकता का पाठ

शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

एक आदर्श समाज में नैतिक, सामाजिक व आध्यात्मिक मूल्य प्रचलित होते है। नैतिक मूल्यों का हमें सम्मान करना चाहिए। मूल्य शिक्षा द्वारा ही बेहतर जीवन जीने क

झाबुआ। एक आदर्श समाज में नैतिक, सामाजिक व आध्यात्मिक मूल्य प्रचलित होते है। नैतिक मूल्यों का हमें सम्मान करना चाहिए। मूल्य शिक्षा द्वारा ही बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। उक्त प्रेरणास्पद उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने शारदा विद्या मंदिर एवं सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि लालच, भ्रम, बईमानी, चोरी, ठगी, नकारात्मक विचार मनुष्य को नैतिकता के विरुद्ध आचरण करने के लिए उकसाते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि हमें अनैतिकता का मार्ग छोड़कर नैतिकता की ओर जाना है। आस्था निर्माण की जरूरत राज योगी भगवान भाई ने शहर के दोनों निजी विद्यालय में पहुंचकर विद्यार्थियों से कहा कि नैतिक मूल्य से युक्त जीवन ही सभी को पसंद आता है। सद्गुणों की धारणा से ही हम प्रशंसा के पात्र बन सकते है। उन्होंने बताया कि मूल्य ही जीवन की सुंदरता और वरदान है। जीवन में धारण किए गए मूल्य ही हमारे श्रेष्ठ चरित्र की निशानी है। मूल्यों को जीवन में धारण करने की हमारे मन में आस्था निर्माण करने की आवश्यकता है। भगवान भाई ने कहा कि मूल्य हमारे जीवन में अनमोल निधि है। स्थानीय सेवा केंद्र की संचालिका बीके ज्योति बहन ने सभी को ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय का परिचय देते हुए आध्यात्मिकता के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

शनिवार, 6 नवंबर 2010

योग मन की शांति के लिए ---2

मीठे बच्चे : " तुम्हे अपने हमजिन्स का उद्धार करना है , बाप ने माताओं पर ग्यान का कलष रखा है इसलिए माताओ पर बडी जवाबदारी है "

प्रश्न : तुम माताये किस विशेष कर्तव्य के निमित्य हो ? तुम्हारे उपर कौन सी रेसपान्सबिल्टी है ?
उत्तर : तुमने इस पतित दुनिया को पावन दुनिया , नर्क को स्वर्ग बनाने के निमित्त हो । बाप ने
तुम माताओ पर ग्यान का कलष रखा है इसलिए सबको सदगति देने की रेसपान्सिबिल्टी तुम्हारे पर है । तुम हो शिव शक्ति सेना । तिम्हे अब अपने हमजिन्स क कल्याण करना है ।
सबको पतित बनने से बचाना है । वेश्याओ का भी उद्धार करना है ।

गीत : रात के राही थक मत जाना ... सुबहाँ कि मंजिल दुर नही....

धारना के लिए मुख्य सार :

१) बप का सच्च बच्चा बनना है , अन्दर एक बाहर दुसरो न हो । याद की रुहानी दौड मे
आगे जाना है । खुश-मिजाज बनना है ।

२)आपस में बहुत बहुत प्यार से रहना है , शिव शक्ती सेना का संगठन तैयार कर अपनी हमजिन्स को बचाना है । पविञ बनने और बनाने की युक्ती रचनी है ।

वरदान : स्वदर्शन चक्र के टाईटल की स्मॄति द्धारा परदर्शन मुक्त बनने वाले मायाजीत भव.

सिर्फ़ बुद्धि से वर्णन नही करो लेकिन सीट पर सेट हो जाओ , जै टाइटल वैसी स्थिति हो ।