शनिवार, 30 अक्तूबर 2010

राजयोगी ब्रम्हाकुमार भगवान भाई प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीयविश्व विद्यालय

मंडला। यह कारागृह नही, बल्कि सुधारगृह है। इसमें आपको अपने में सुधार लाने हेतु रखा हुआ है, शिक्षा देने हेतु नहीं। उक्त उद्गार माउट आबू से प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीयविश्व विद्यालय के मुख्यालय से पधारे हुए राजयोगी ब्रम्हाकुमार भगवान भाई ने कहें। उप कारागृह में बन्दिस्त युवा कैदियों को कर्म गति और व्यवहार शुद्धि विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कारागृह के इस एकांत स्थान पर बैठकर स्वयं को परिवर्तन करनेके लिए सोचों कि मैं इस संसार में क्यों आया हूं? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या हैं, मुझे परमात्मा ने किस उद्देश्य से यहां भेजा है? मैं यहां आकर क्या कर रहा हूं। ऐसी बातों का चिंतन करने से संस्कार, व्यवहार परिवर्तन होगा। उन्होंने कहा कि यह कारागृह आपके जीवन को सुधार लाने हेतु तपोस्थल है। भगवान भाई ने युवा कैदियों को कहा कि बदला लेने केबजाय स्वयं को ही बदलकर दिखाने की प्रवृति रखनी है। उन्होंने कहा कि हम किसके बच्चे हैं? जिस परमात्मा के हम बच्चे हैं, वह तो शांति का सागर, दयालू, कृपालू, क्षमा का सागर है। हम स्वयं को भूलने से ऐसी गलतियां कर बैठते हैं। उन्होंने कहा कि हम ऐसा कोई कर्म नकरें जिस कारण धर्मराज पूरी मेंहमें सिर झुकाना पडेÞ, पछताना पडेÞ, रोना पडेÞ। अवगुण या बुराईयां बसी हैं। उसे दूर भगाना हैं, ईर्ष्या करना, लड़ना, झगड़ना, चोरी करना, लोभ, लालच, यह तो हमारे दुश्मन हैं। जिसके अधीन होने से हमारे मान, सम्मान को चोट पहुंचती हैं।बुराईयां दूर करना तो आदर्श इंसान की पहचान हैं। इन अवगुणों ने और बुराईयों ने हमें कंगाल बनाया इससे दूर रहना है।जीवन में नैतिक मूल्यों की धारणा करने की आवश्यकता है। जीवन में सद्गुण न होने केकारण ही समस्याएं पैदा होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल होता है। उसे व्यर्थ कर्म कर व्यर्थ ऐसा ही नहीं गंवाना चाहिए। मजबूरी को परीक्षा समझकर उसे धैर्यता और सहनशीलता सेपार करते हैं, तो अनेक दुख और धोखे से बच सकते हैं। जीवन में परिवर्तन लाकर श्रेष्ठ चरित्रवान बनने का लक्ष्य रखना है। तब कारागार आपके लिए सुधारगृहसाबित होगा। अंग्रेजों को खदेड़कर बाहर निकाला ठीक उसी प्रकार हमें अपने आंतरिक बुराईयों को निकालना हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने यह देश हमारेलिए स्वतंत्र बनाकर खुशी, आनंद में रहने के लिए भाईचारे से रहने के लिए दिया है, इसलिए अब यहां आपस में मिलजुलकर रहना है। स्थानीय ब्रम्हाकुमारीराजयोग सेवाकेन्द्र की संचालिका ब्रम्हाकुमारी बीके ममता बहन ने भी सभी युवा कैदी भाई बहनों को शुभ भावना देते हुए कहा कि जो अपने अंदर की बुराईयों को निकालना है, तभी इस संसाद में इज्जत से रहते है। उन्होंने ब्रम्हाकुमारीज द्वारा सिखाया जानेवाला राजयोग सिखकर निर्व्यसनी, निर्विकारी बनने की प्रेरणा सभी कैदी भाईयों को दी। ब्रम्हाकुमारीज द्वारा बिगड़े हुए मानव को फिर से सुधारने के इस अभियान की सराहना की। उन्होंने कहां कि संसार में स्वयं भी सुख से जीओं और दूसरों को भी जीने दो।


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